Basant Panchami Katha – वसंत पंचमी के दिन पढ़े मां सरस्वती की कथा

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vasant Panchami Katha Mera Uttarakhand

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Basant Panchami Katha- माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में मनाया जाता है इस साल सरस्वती पूजा 16 फरवरी मंगलवार के दिन है। इस दिन ज्ञान व वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है। पूजा के समय मां सरस्वती से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जिसे इस दिन पढ़ा जाता है।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा में कथा का पाठ करने से पूजा का फल पूर्ण प्राप्त होता है। तो चलिए जानते है सरस्वती पूजा की प्रसिद्ध कथा के बारे में।

सरस्वती पूजा की प्रसिद्ध कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री विष्णु जी की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्यों की योनी बनाई। एक समय की बात है ब्रह्मा जी एक दिन पृथ्वी पर भ्रमण कर रहे थे, उन्होंने अपने द्वारा रचे गए सभी जीवों को देखा। ब्रह्मा जी को लगा कि पृथ्वी पर सब कुछ होते हुए भी काफी शांति है। अभी भी कहीं कुछ कमी सी रह गई है।

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उसी समय उन्होंने अपने कमंडल से जल निकाला और धरती पर छिड़का, तभी वहां पर चार भुजाओं वाली, श्वेत वर्ण वाली, हाथों में पुस्तक लिए, माला और वीणा धारण किए हुए एक देवी प्रकट हुई । ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम माँ को वाणी की देवी सरस्वती के नाम से संबोधित किया और सभी जीवों को वाणी प्रदान करने को कहा। मां सरस्वती ने अपनी वीणा के मधुर नाद से जीवों को वाणी प्रदान की।

मां सरस्वती जिन्हे माँ शारदा के नाम से भी जाना जाता है माघ मास के क्षुक्ल पक्ष की पंचमी को प्रकट हुर्ड थीं, जिस वजह उस तिथि को श्री पंचमी या वसंत पंचमी कहा जाने लगा (Basant Panchami Katha)। इस दिन को माँ सरस्वती देवी के जन्मदिवस॒ के रुप में भी मनाते हैं।

माँ सरस्वती ने अपनी वीणा से संगीत की उत्पत्ति की, जिस वजह से उन्हें कला और संगीत की देवी कहा जाता है। मां को शारदा, बागीश्वरी , वाग्देवी, भगवती, वीणावादनी, सरस्वती आदि नामों से पुकारा जाता है। मां को पीला रंग काफी प्रिय है। पूजा के समय मां को पीली वस्तु और पुष्प अर्पित किया जाता है।

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