मेरे पहाड़ का दर्द ( पलायन )

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uttarakhand palayan migration

uttarakhand palayan migration

टूट गयी मकान , उजड् गो खेत

क़िले एतुक लिजी मांगो छी उत्तराखंड ?

लोग परदेशों मैं बस गई,

बच की गो अब उत्तराखंड मैं ?

खाणी-पिणि परदेशों मा,

पिकनिक घुमन लिजी आणि उत्तराखंड मैं

पूर्वजो की पाल टुटी,

देली मा मकडक जाव जम गई

फेसबुक मा स्टेट्स लिखणु लागरी ,

की आई लव माय उत्तराखंड।

पलायन पूर पहाडक हेगो

क़िले एतुक लिजी मांगो छी उत्तराखंड ?

शहीद आंदोलनकारी हेग्गी ,

उत्तराखंड मागन मैं ,

ऊले आज सोचन लागरी हुनर ,

क़िले एतुक लिजी मांगो छी उत्तराखंड ?

कुछ त सोचो भाइयो तुम लै,

की किलै मांगो छी यु उत्तराखंड,

आओ फिर से बसोंल अपन पहाड़ ,

अपन मकान , अपन पूर्वजो की खेती, अपन संस्कार,

ऐ जाओ दोस्तों आई ले टाइम छू नी भूलो अपन पहाड़ कै

जय उत्तराखंड , जय देवभूमि

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बहुत दर्द होता है यह देख कर की उजड़ रहा है अपना पूरा पहाड़ कुछ लोगो की मजबूरी है पहाड़ छोड़ कर जाने की अपने घर परिवार के लिए । चलो एक बार के लिए उन लोगो की मजबूरी हम समझ सकते है लेकिन 70 % लोग यह कह कर अपने पहाड़ को छोड़ कर जा रहे है की अब पहाड़ मैं कुछ नहीं रहा । बेकार हो गया पहाड़ ऐसे लोगो के लिए ही आज मैं अपनी स्टोरी समर्पित करना चाहता हु ।

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अपनी जन्म भूमि अपने पहाड़ जिस मैं तुमने अपना पूरा बचपन काटा है आज सिर्फ शहर की चका चौक को देख कर जाने वालो भूलो मत हमारे पूर्वजो ने इसी पहाड़ जिसे आज तुम यह कह कर ठुकरा रहे हो ” की पहाड़ मैं कुछ नहीं रहा इसी पहाड़ इसी जमीन से ” तुम्हे पढ़ाया तुम्हारा पालन पोसन किया ।

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और आज तुम्हारे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है की तुम खेतो मैं मेहनत कर सको तो इसका दोष हमारे पहाड़ो को मत दो ।
खुद की हिम्मत नहीं है पहाड़ो मैं मेहनत करने की और चले जाते हो यह कहकर की पहाड़ मैं अब कुछ नहीं रहा । पहाड़ मैं बहुत कुछ है तुम्हारे वह २BHK (दो कमरों के मकान ) से तो अच्छा मेरा यह खुला पहाड़ है ।

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यहा की हवा है मेरा पूरा बचपन है जिसे मैंने यहा बिताया है । मेरे पूर्वजो की यादे है । प्यार है और अगर मन की आखो से देखो तो तुम्हारे वो शहर जिसमे तुम रहना अपनी सान और सौकत समझते हो मेरे पहाड़ की तुलना मैं बहुत छोटा नज़र आएगा ।

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अभी भी’ वक़्त है लौट आओ अपने पहाड़ मैं चैन की रोटियां खाओ अपने पहाड़ को आगे बढ़ाओ अपने पूर्वजो के खेतो को यु बंजड़ न होने दो । मैं यह बिलकुल नहीं कहता की शहर बेकार है शहर मैं मत रहो। लेकिन अपने पहाड़ो को बंजड़ छोड़ कर शहर मैं मत बसों । अपने पूर्वजो को याद करो अपनी संस्कृति को बचाओ ।

8 thoughts on “मेरे पहाड़ का दर्द ( पलायन )

  1. You are absolutely right, but everyone goes to the city
    but Uttarakhand is located in the heart of all Uttarakhandis.🔥🙏 #jaiuttrakhand #jaidevbhumi #uttrakhand ❤️😍

  2. Ye hi to problem he logo ki …Ki logo ye bolne me srm.aati he ki kam pahad me rhte he ……😣😣isi liye palayan ho ra he 😏…..Nyc Article ❣️

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