रामायण की प्रेरणादायी कहानी (Ramayana Inspiring Story In Hindi)
अगर आप छोटे बच्चे है तो भी चिंता ना करे , अगर आप गरीब हैं तो भी चिंता न करें जिस तरह भी आप औरों के काम आ सके वैसा करे ।
अब आपके सामने एक सवाल होगा कि आप छोटे होकर , बड़े की मदद कैसे कर सकते हैं?
तो आपके इन सभी सवालों के जवाब रामायण में उपलब्ध है । उत्तराखंड (Uttarakhand) देवभूमि के लिए प्रशिद्ध है साथ ही यह सुंदरता का आकर्षक केंद्र है ।
रामायण की प्रेरणादायी कहानी:-
जब श्री राम ने लंका विजय अभियान शुरू किया था। समुद्र को पार करने के लिए, समुद्र पर पत्थरों के पुल बनाना शुरू कर दिया। पत्थर पर पत्थर लगाए जा रहे थे कि श्री राम ने देखा कि एक गिलहरी पानी में जाती है, फिर मिट्टी के पास आती है और फिर पत्थरों के बीच चली जाती है।
श्री राम ने सोचा, आखिर गिलहरी यह कर क्या रही है । उन्होंने हनुमानजी से कहा, इस गिलहरी को पकड़ लो और फिर ले आओ। हनुमानजी ने गिलहरी को पकड़ा और रामजी को दे दिया।
रामजी ने गिलहरी से पूछा, – तुम यह बार-बार क्या कर रही हो? मैं समझ नहीं सका। तुम पानी में जाती हो , और फिर आकर मिट्टी में लोट पोट होती हो ।
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गिलहरी ने कहा, ‘भगवान! मैंने सोचा, सीता माता की रक्षा के लिए, उनके सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए, आप लंका पर चढ़ाई करने जा रहे हैं, वानरों की सेना आपके साथ युद्ध में शामिल हो रही है, इसलिए मैंने सोचा कि मैं भी भागीदार बनूंगा।
मेरे पास कुछ और हेल्प करने को तो नहीं था क्योंकि इन पत्थरों को उठाने की शक्ति मेरे में नहीं है, तब मैंने सोचा कि इन पत्थरों के बीच की खाली जगह में मिट्टी डाल कर भर दू ताकि जब आप सेना सहित इस से गुज़रे तो आप लोगो क पाँव में पत्थर न चुभे ।
भगवान श्रीराम ने कहा, ‘गिलहरी, तुम महान हो, लेकिन एक बात बताओ। यहाँ इतनी बड़ी सेना है और आप बार-बार आ रहे हो , अगर किसी के पाऊँ के नीचे आकर मर गए तो ?
‘गिलहरी ने कहा,’ भगवान! तब में यह सोचूंगी की नारी जाति की रक्षा और धर्म को बचाने के लिए जो युद्ध लड़ा गया उसमे सबसे पहले में काम आयी ।
तब श्री राम जी ने गिलहरी की पीठ पर स्नेह पूर्वक उंगुलिया चलाई और कहते है की गिलहरी की पीठ पर फेरे हुए भगवान के उंगुलियों के निशान आज भी दिखाई देते है ।
और श्री राम ने कहा ” लंका विजय में सबसे बड़ा सहयोग तुम्हारा है ” ।
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शिक्षा (Moral):-
अगर आप छोटे हैं तो यह मत सोचिए कि आप कुछ नहीं कर सकते। आप जितना कर सकते हैं उतना करें। जो औरो के वक़्त बेवक़्त में काम आता है , उसका वक़्त कबि बेवक़्त नहीं आता । जो दुसरो के लिए आहुति देता है , ईश्वर के घर से उसके लिए आहुतिया समर्पित होती है ।
किसी भी काम को करने का कोई भी समय सही होता है और अगर आप समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो किसी भी तरह से कर सकते हैं। आपको पैसे या ताकत के सहारे समाज की सेवा करने की जरूरत नहीं है। आप अपनी क्षमता के अनुसार काम करके भी सेवा दे सकते हैं।