उत्तराखंड मांगे भू कानून सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। आइये जानते है इसके बारे में

उत्तराखंड मांगे भू कानून (uttarakhand-mange-bhu-kanoon) पिछले कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। उत्तराखंड वासी उत्तराखंड के लिए एक सशक्त कानून की मांग कर रहे है। उत्तराखंड में भू कानून लागू करने की मांग लगातार पिछले कुछ समय से उठाई जा रही है।
सारे उत्तराखंड वासियो की एक ही कोशिश है कि पिछले भू कानून (bhu kanoon) में सुधार लाया जाय। यह एक ऐसी लड़ाई है जो उत्तराखण्ड के हक की लड़ाई है या यह कहें कि अपने अधिकारों की लड़ाई है। अब सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हो गया है कि उत्तराखंड में सख्त भू-कानून (uttarakhand mange bhu kanoon) लाने की बात हो रही है? तो चलिए जानते है
उत्तराखंड भू-कानून क्या है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2002 तक अन्य राज्यों के लोग उत्तराखंड में मात्र 500 वर्ग मीटर तक ही जमीन खरीद सकते थे। वही साल 2007 में यह सीमा 250 वर्गमीटर की गई। इसके बाद 6 अक्टूबर 2018 में सरकार द्वारा नया अध्यादेश लाया गया। जिसमे पहाड़ो में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा ही समाप्त कर दी गयी। जिस कारण यहा जमीन देश का कोई भी नागरिक खरीद सकता है , और यहा बस सकता है। वर्तमान स्थिति यह है, दूसरे राज्यों के लोग यहाँ जमीन लेकर रहने लगे हैं। जो कि उत्तराखंड की संस्कृति , भाषा रहन सहन, और उत्तराखंडी समाज के विलुप्ति होने का कारण बन सकता है। इसलिए सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय लोग, एक
सशक्त,हिमांचल के जैसे भू कानून (bhu kanoon) की मांग कर रहें हैं।
क्या है हिमाचल का भू कानून ?
1972 में हिमाचल में एक सख्त भू कानून बनाया गया। इस कानून के अंतर्गत अन्य राज्यों के लोग हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकते थे। दरअसल हिमाचल इस वक्त इतना सम्पन्न नहीं था। डर था कि कहीं हिमाचल के लोग बाहरी लोगो को अपनी जमीन न बेच दें। जिस कारण वह भूमिहीन हो जाते। भूमिहीन होने का अर्थ है कि अपनी संस्कृति और सभ्यता को भी खोने का खतरा। गैर हिमाचली नागरिक को यहां जमीन खरीदने की इजाजत नही। वही कमर्शियल प्रयोग के लिए आप जमीन किराए पे ले सकते हैं। 2007 में सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कहा कि बाहरी राज्य का व्यक्ति, जो हिमाचल में 15 साल से रह रहा है, वो यहां जमीन ले सकता है। उस समय इसका बहुत विरोध हुआ बाद में सरकार ने इसे बढ़ा कर 30 साल कर दिया।