गोलू देवता की कहानी ( Story of golu dev of Uttarakhand )

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बहुत साल पहले की बात है , ग्वालियर कोट चंपावत में झालुराय का शासन था। उनकी सात रानी थीं। राज्य में चारो तरफ खुशहाली थी। राजा हर समय अपनी प्रजा का ख्याल रखता था। हर तरफ समृद्धि के बावजूद राज्य में एक कमी थी, वो कमी थी कि राजा के पास कोई बेटा नहीं था। इस वजह से, राजा हर समय दुखी रहता था। यह सोचकर कि मेरा भविष्य कैसे बढ़ेगा, एक दिन राजा ने सोचा था कि राज्य ज्योतिष से परामर्श लेना चाहिए। राजा परामर्श लेने के लिए ज्योतिष के पास गया और अपनी बाते बताई ।ज्योतिषी ने सुझाव दिया कि आप भैर महाराज को खुश करें, आपको निश्चित रूप से शुभकामनाएं मिलेंगी।

ज्योतिषी पर विश्वास करते हुए, राजा ने भैरव पूजा का आयोजन किया। भैरव जी महाराज को खुश करने की कोशिश की, राजा को सपने मैं दर्शन दिए और कहा कि आपके भाग्य में बच्चे का सुख नहीं हैं। अत: में स्वयं आपके पुत्र के रूप में जन्म लूँगा। इसके लिए, आपको आठवा विवाह करना होगा, जो आपको बेटा देगा, जब राजा सुबह उठा तो बहुत खुश हुआ और अपनी आठवीं रानी की तलाश में लग गया।

एक दिन, राजा शिकार के लिए जंगल की तरफ दूर चला गया। जब राजा को पानी के लिए प्यास लगी तो राजा ने पानी लाने के लिए सेना को भेजा।

जब बहुत देर हो गई तो एक सैनिक नहीं आया, तो राजा खुद पानी की खोज में बाहर चला गया। पानी ढूढ़ते हुए राजा को एक तालाब नज़र आया । जब राजा तालाब के पास पहुंचा तोह उसने देखा की उसके सारे सैनिक बिहोश हुए है । उसके बाद राजा स्वयं पानी के लिए हाथ पानी में डालता है और, अचानक आवाज आती है, “यह झील मेरा है। अगर तुमने मेरी बात नहीं सुनी तो आपका भी वही हाल होगा जो ये लोगो का हुआ है ।

राजा ने जब सामने देखा तो एक सुन्दर नारी खड़ी थी, राजा ने उस नारी से कहा की वो शिकार के लिए आया था और उसे जगल में पानी की प्यास लग गयी तो उसने अपने सैनिक को पानी लेने भेजा. राजा ने परिचय देते हुए कहा की में चम्पावत का राजा झालुराय हु तब उस नारी ने कहा की मैं पंचदेव देवताओं की बाहें कलिंगा हूँ. अगर आप राजा हैं – तो बलशाली भी होंगे – जरा उन दो लड़ते हुए भैंसों को छुडाओ तब मैं मानूंगी की आप गढी चम्पावत के राजा हैं.
राजा ने जब उन भैंसों को लड़ते देखा तो कुछ समझ नही आया की कैसे छुड़ाया जाय, राजा ने हार मान ली उसके बाद नारी स्वयं  उन भैसों को छुड़ाया .

राजा यह देखकर आश्चर्यचकित था, तब वहा पंचदेव पाधारे और राजा ने कलिंग से शादी करने की पेशकश की। पंचदेव ने मिलकर कलिंग का विवाह राजा से किया और पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया.।
समय बीतने के बाद, राज्य की आठवीं रानी गर्भवती हो गई। राजा की दूसरी रानी ने यह बात पसंद नहीं थी, रानियों ने सोचा कि अगर उसका बेटा होता है, तो हमारे मान कम हो जायेगा और राजा भी इससे ज्यादा प्यार करेंगे। रानियों ने योजना बनाई, की उस रानी के पुत्र को जन्म लेते ही मार देंगे।

जब पुत्र का जन्म होने वाला था, तो आठवीं रानी के आँखों पर पट्टी बाध दी गई, और जैसे ही पुत्र का जन्म हुआ तो उसको फेंक गोशाला में दिया गया और रानी के सामने लोंड सिलट (मसल पिसने का एक साधन) रखा गया, जब रानी ने देखा की उसका बेटा लोंड सिलट हुआ तो रानी बहुत दुखी हुई,

गोस्ला में उस बच्चे को फेंकने के बाद भी, वह जीवित था, फिर सात रानियों ने उसे एक बॉक्स में बंद कर दिया और उसे नदी में फेंक दिया, जो बाक्स नदी में तैरते मछली पकड़ने के जाल में फंस गया। जब मछुआरे ने बॉक्स खोला तो उसमे प्यारा बच्चा था, वो उस बच्चे को घर लाया और उसका पालन किया.. मछवारे नें उस बालक को एक कांठ( लकड़ी ) का घोड़ा दिया , बालक उस घोड़े को रोज पानी पिलाने के लिए नदी पर ले के जाता था। उसी नदी पर राजा की सातों रानियाँ भी आया करती थी।

बच्चा जब घोड़े को पानी पिलाता था तो , रानी कहती थी, की “कही काठ का घोड़ा भी पानी पीता है क्या?” इस पर बालक का जवाब होता था की क्या कभी औरत से भी लोड़ सिलट जन्म लेता है क्या ऐसा कहते ही रानियों चुप हो जाती , ये बात जब आठवीं रानी को पता चली तो रानी बालक से मिलने नदी पर गई।

रोज की तरह वही हुआ बालक आया और अपने घोड़े को पानी पिलाने लग गया, सातों रानी ने भी वही कहा की काठ का घोड़ा भी पानी पीता है क्या ? बालक ने कहा क्या कभी औरत से भी लोड़ सिलट जन्म लेता है, ये बात कहते ही आठवीं रानी बोली तुम ऐसा क्यों कह रहे हो। बालक ने रानी को पुरी बात बताई की किस तरह मुझे मारने की कोशिश की गई , ये बात जब राजा को पता चली तो राजा ने सातों रानियों को फासी देने का हुक्म दे दिया।

वह बालक बड़ा हो कर एक न्याय प्रिय राजा बना ,और आज भी उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है।

“जय गोलू देवता”

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