माँ शीतला देवी मंदिर की पौराणिक कथा और मान्यता
माँ शीतला देवी मंदिर की पौराणिक कथा और मान्यता-
शीतला देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य, नैनीताल जिले के हल्दवानी में स्थित है। यह भव्य और विशाल मंदिर है जो हल्दवानी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शीतला देवी मंदिर हल्दवानी का एक बहुत ही आकर्षक मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। यहां वातावरण काफी शानदार है। शीतला देवी मंदिर , जिसे सिताल भी कहा जाता है।
18 9 2 में हल्दवानी अल्मोड़ा मोटरवे के निर्माण से पहले, दक्षिण पूर्वी इलाकों से बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगेश्वर और बागेश्वर से यात्रा करने वाले यात्रि इसी मार्ग से होकर जाया करते थे।
मंदिर के पीछे चंद्र राजाओं के समय हाट का बाजार लगाया जाता था और लोग दूर-दराज से सामान खरीदने के लिए आते थे। माना जाता है मंदिर के पास ही बदखरी गढ़ था जिसे गोरखा राजो द्वारा युद्ध में ध्वस्त कर दिया गया था। आज भी, दीवारों के खंडहर, और पत्थरों में यहा के अवशेष दिखाई देते है ।
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माँ शीतला देवी मंदिर की मान्यता-
ऐसा माना जाता है कि भीमताल के पंडित लोग बनारस से मूर्ति को अपने गांव में शीतला माँ का मंदिर बनाने के लिए ला रहे थे। तब उनको पैदल चलते चलते माँ के द्वार तक पहुंचने में रात हो गयी और उन्होंने रानीबाग के गुलाबघाटी में ही विश्राम किया ।
रात में, एक व्यक्ति ने इस जगह में मां की स्थापना का सपना देखा और व्यक्ति ने अपने साथी को सपने के बारे में बताया, उनके साथियो को उस बात पर भरोशा नहीं हुआ , और उन्होंने मूर्ति को उठाना शुरू कर दिया, लेकिन वह मूर्ति को हिला तक न सके, तब उन लोगो को भरोसा हुआ और मंदिर की स्थापना की। तब से वह पांडेय लोग ही सबसे पहले पूजा करने आते है ।
शीतला देवी का मंदिर एक घने जंगल के बीच में स्थित है और बहुत शांत और आरामदायक है। यहां नवरात्रि में मां के भक्तों की बहुत भीड़ रहती है ।
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शीतला देवी के बारे में (About Sheetla devi Temple)-
स्कंद पुराण में, शीताला देवी का वाहन गर्डभ कहा जाता है। माँ हाथ में वह सूप,कलश , झाड़ू और नीम के पत्तों को धारण करती है । माँ शीतला को चिकनपॉक्स जैसी विभिन्न बीमारियों की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। इन चीजों का एक प्रतीकात्मक महत्व है। चेचक का मरीज चिंता में कपड़ों को हटा देता है । ऐसे सूप से हवा लगाई जाती है । और झाड़ू से चिकन पॉक्स को फोड़ा जाता है । नीम के पत्ते फोड़े को सड़ने नहीं देते ।
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