हवन करने के चमत्कारी व वैज्ञानिक फायदे
“यज्ञ” शब्द जिसका अर्थ है देव पूजा, संगतिकरण और दान। संसार के सभी श्रेष्ठकर्म यज्ञ कहे जाते हैं। यज्ञ को अग्निहोत्र, देवयज्ञ, होम, हवन, अध्वर नामो से भी जाना जाता है। यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए महर्षि दयानंद जी कहते हैं : “संसार के सभी लोग जानते हैं कि दुर्गंध युक्त वायु और जल से रोग, रोग से प्राणियों को दुख और सुगंधित वायु तथा जल से आरोग्य और रोग के नष्ट होने से सुख प्राप्त होता है।
महर्षि दयानंद जी कहते हैं परोपकार की सर्वोत्तम विधि हमें यज्ञ से सीखनी चाहिए। जो भी हवन करते वक़्त सामग्री की आहूति दी जाती है, उसकी सुगंध वायु के द्वारा अनेक प्राणियों तक पहुंचती है। वे उसकी सुगंध से आनंद का अनुभव करते हैं। साथ साथ यज्ञ कर्ता भी अपने सत्कर्म से सुख का अनुभव करता है।
यज्ञ में चार प्रकार के हवन पदार्थ डाले जाते हैं।
1- इलायची, लौंग, जायफल, सुगंधित-केसर, अगर, तगर, गुग्गल, कपूर, चंदन, जावित्री आदि।
2- दूध, फल, कंद, मखाने, पुष्टिकारक-घृत, अन्न, चावल जौ, गेहूं, उड़द आदि।
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3- मिष्ट-शक्कर, शहद, छुहारा, किशमिश, दाख आदि।
4- रोगनाशक-गिलोय, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, मुलहठी, सोंठ, तुलली आदि औषधियां अर्थात जड़ी-बूटियां जो हवन
सामग्री में डाली जाती हैं।
हवन करने के लाभ –
किसी भी हवन और कर्मकांड को केवल आस्था से जोड़ना ठीक नहीं है इसीलिए उसका वैज्ञानिक कारण भी जानना बेहद आवश्य होना चाहिए ।
1- एक रिसर्च में यह पता चला है की हवन में ज्यादातर आम की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता हैं, और जब आम की लकड़ियों को जलाया जाता है तो उनमें से लाभकारी गैस उत्पन्न होती है जिससे वातावरण में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया व जीवाणु खत्म हो जाते हैं । इसके साथ ही आसपास का वातावरण भी शुद्ध हो जाता है.
2-यदि कोई व्यक्ति आधे घंटे तक हवन में बैठ जाये और हवन के धुएं का शरीर से सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे जानलेवा रोग फैलाने वाले जीवाणु खत्म हो जाते है और शरीर शुद्ध हो जाता है ।
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3 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में किसी तरह की नेगेटिव एनर्जी होने पर हवन करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है और घर का वातावरण भी शुद्ध होता हैं। साथ में मन को भी बहुत शांति मिलती है .
4- हवन में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों का बहुत अधिक महत्व होता है, जब उनकी आहुति दी जाती है तो वें सुक्ष्म से सुक्ष्म विषाणुओं का भी का नाश कर देती है।
5- हवन के धुएं के सम्पर्क में रहने से व्यक्ति के मस्तिष्क, फेफड़ें और श्वास सम्बन्धी समस्याएं भी नष्ट हो जाती है, जिसकी मदद से श्वसन तंत्र बेहतर तरीके से कार्य करने लगता है । साथ ही हवन के धुएं और अगनि के ताप से शरीर की थकान और मन की अशांति भी दूर हो जाती है।
6- अगर हम ग्रहों की बात करे, यदि किसी व्यक्ति की राशि में ग्रहों की चाल खराब चल रही हो तो ऐसे लोगों को हवन करना चाहिए, यज्ञ की
मदद से कुंडली के दोष का भी निवारण किया जा सकता हैं। हवन यज्ञ करके स्वस्थ और निरोगी जीवन तो मिलता ही है, साथ-साथ धार्मिक आस्था को भी बल मिलता हैं ।