Golu Devta – एक चिट्ठी से ही हो जाती है मुराद पूरी

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उत्तराखंड को भगवानो का निवास स्थान बताया गया है यहा तीर्थस्थलो के साथ साथ कई पौराणिक कथाये भी महशूर है।
अभी तक आपने भक्तो को मंदिरों में जाकर अपनी मुरादें मांगते देखा होगा, लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में स्थित गोलू देवता (golu Devta) के मंदिर में केवल चिट्ठी भेजने से ही मुराद पूरी हो जाती है।

साथ ही गोलू देवता लोगों को तुरंत न्याय दिलाने के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। नैनीताल जिले के अल्मोड़ा और भवाली में स्थित गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठियों की भरमार देखने को मिलती है।
प्रेम विवाह के लिए युवक-युवती गोलू देवता के मंदिर में जाते हैं। मान्यता है कि यहां जिसका विवाह होता है उसका वैवाहिक जीवन हमेशा खुशियों से भरा रहता है।
गोलू देवता की कहानी-
गोलू देवता उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध पौराणिक देवता हैं। अल्मोड़ा स्थित गोलू देवता का चितई मंदिर अल्मोड़ा से दस किमी दूर है। मूल रूप से गोलू देवता को गौर भैरव (शिव ) के अवतार के रूप में माना जाता है।
कहा जाता है कि वह कत्यूरी के राजा झाल राय और कलिद्रा की बहादुर संतान थे। ऐतिहासिक रूप से गोलू देवता का मूल स्थान चम्पावत में माना गया है।
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एक अन्य कहानी के अनुसार गोलू देवता(golu devta) चंद राजा, बाज बहादुर ( 1938- 1678 ) की सेना के प्रमुख जनरल थे और एक युद्ध में वीरता के साथ युद्ध करते हुए उनकी मृत्यु हो गई थी। उनके सम्मान में ही अल्मोड़ा में चितई मंदिर की स्थापना की गई।
चमोली में गोलू देवता को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। चमोली में नौ दिन के लिए गोलू देवता की विशेष पूजा की जाती है। इन्हें गौरील देवता के रूप में भी जाना जाता है।